जब सुनसान एक पहाड़ पर बैठो
तब ज़िन्दगी याद आती है
जब उभरते डूबते सूरज को देखो
तब ज़िन्दगी याद आती है
जब नदियों को पत्थरों से टकराते सुनो
तब ज़िन्दगी याद आती है
जब हवा में पत्तियों को झूलते देखो
तब ज़िन्दगी याद आती है
लेकिन जब ज़िन्दगी जीने की दौड़ में घुसो
तब न जाने, ज़िन्दगी कहाँ खो जाती है
*******
Written, standing on a hill top, gazing out, with nothing but silence all around.
Like I've said before, there's something about New Year's, Sunsets and Birthdays that make you so reflective.
तब ज़िन्दगी याद आती है
जब उभरते डूबते सूरज को देखो
तब ज़िन्दगी याद आती है
जब नदियों को पत्थरों से टकराते सुनो
तब ज़िन्दगी याद आती है
जब हवा में पत्तियों को झूलते देखो
तब ज़िन्दगी याद आती है
लेकिन जब ज़िन्दगी जीने की दौड़ में घुसो
तब न जाने, ज़िन्दगी कहाँ खो जाती है
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Written, standing on a hill top, gazing out, with nothing but silence all around.
Like I've said before, there's something about New Year's, Sunsets and Birthdays that make you so reflective.